ख़्वाहिशें //

 हैं उड़ने की मुझे उड़ने दो 
यूँ न मुझे पिंजरे में बंद करो, मुझे 
खुद के लिए लड़ने दो, 

तिनका तिनका ख़्वाब जोड़ा हैं 
न जाने कितनी बार मैंने बदलते 
रास्तों में खुदको मोड़ा हैं, अब मेरे
उड़ने की बारी आई हैं हाँ मेरी 
चाहतों ने समाज के सोच को तोड़ा हैं

बंदिशें लाख आए राह में सीने में 
दफ़न एक चिंगारी हैं, कमयाब 
अब मुझे होना हैं, अब मेरे इरादों 
ने हार नहीं मानी हैं
माना चादर छोटा है लेकिन 
अबकी बार मेरे वजूद ने पाँव फैलाए हैं
  -Nisha 

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